Wednesday, March 14, 2007

शिकवा

शिकवा

शिकवा कुछ भी करो, गिला ना कभी करना
यार रूठ जाए ऎसा, सिला ना कभी करना ।
वैसे तो दिल सँभालना, मुश्‍किल बहूत होता है
दिल टूट जाए ऎसा, करम ना कभी करना ।
किसी की जिंदगी सँवारना, खुशी सभी को देता है
जिंदगी उजाडने का लेकिन, जुलम ना कभी करना ।
कहाँ तक मिलकर जाएँगे, ये मालूम किसे होता है ?
आधे रास्‍ते में ही हाथ छोडने की, गलती ना कभी करना ।
युँ तो किसी के प्‍यार में, पागल सभी हो जाते हैं
दिखावे का मगर प्‍यार में, सितम ना कभी करना ।